"सुखद स्वप्न"
हो रहा सूर्योदय है,
पंछी चहक रहे चहुं ओर।
उल्हास है जीवन में नया
हर कोई आनंद विभोर।
कलियां मुस्काई बनी फूल है
पुष्प सुगंध है चहुं ओर।
नई उमंग है, नई आशा है।
हर कोई आनंद विभोर।
चल रही पवन पुरवाई है,
ठंडक सी राहत है चहुं ओर।
खुशियों से हर नयन भरे है,
हर कोई आनंद विभोर ।
बहती सरिता कल कल करती
फैलाए शीतल जल चहुं ओर।
है मधुर संगीत प्रकृति में,
हर कोई आनंद विभोर।
आँखे खुली इस सुखद स्वप्न से
जब सुना बाहर का शोर।
फ़िर आया उसी दुनिया में
कहीं सन्नाटा, कहीं अशांति और कहीं है उदासी घनघोर।
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