दृश्यों को देखकर मन में कई भाव उठते।
कोई दृश्य मन में बस जाता, तो कई दृश्य छूट जाते।
दृश्य और भावनाओं के इस तालमेल से विचार बुनकर दुनिया कल्पनाओं की बनती स्वप्न बनकर।
होती है ये दुनिया सुंदर- रंगीन उसी इंद्रधनुष की तरह जिसके हर एक रंग में होता कुछ ना कुछ संदेश भरा।
टूट जाए यदि कोई स्वप्न भी तो होता केवल जागना।
ना हकीक़त पर कोई प्रभाव, मन से मिलती सांत्वना
स्वप्न और हकीकत में केवल इतना अंतर कि
हर स्वप्न सच होता नही और हकीक़त स्वप्न से बनती नही।
है ये सारा विचारों का खेल,
बनते जिससे विचारों के तालमेल।
कुछ पल हंसते
कुछ पल रोते
है ये जीवन भी एक स्वप्न की तरह
भिन्न -भिन्न भावनाओं से भरा।
जब भी आंख खुल जाती
टूटती हुई आस में भी आशा की किरण नजर आती।
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