Welcome to hanskerekar. blogspot.com (तन्हाइयों के पल)

Showing posts with label Dreams. Show all posts
Showing posts with label Dreams. Show all posts

Saturday, July 4, 2020

"आगाज़"

"आगाज़"


है तमन्ना कुछ कर दिखाने की
                         तो फौरन इसका आगाज़ हो,
लग जा भले कर्म को
                        शुरुआत इसकी आज हो।


कर कोई ऐसा कर्म 
                        जिससे हो तेरी जयजयकार
प्रशंसा के मायने ना हो
                        ऐसा तेरा अंदाज़ हो।


है अभिनेता अपनी दुनिया का तू
                        हो जाएगा सारी दुनिया का,
गर्व करे सारी दुनिया तुझपर
                        ऐसा कोई काज हो।


हर कोई कुछ सीखे तुझसे
                        इंसानियत की नई शुरुआत हो।
हो सफल जीवन तेरा 
                        सबको तूझपर नाज़ हो।

***                           ***                         ***


I hope you liked it. Please leave your comments & feedback.


Thanks for being here.


Saturday, June 20, 2020

दृश्य और विचार




दृश्यों को देखकर मन में कई भाव उठते।
कोई दृश्य मन में बस जाता, तो कई दृश्य छूट जाते।

दृश्य और भावनाओं के इस तालमेल से विचार बुनकर दुनिया कल्पनाओं की बनती स्वप्न बनकर।

होती है ये दुनिया सुंदर- रंगीन उसी इंद्रधनुष की तरह जिसके हर एक रंग में होता कुछ ना कुछ संदेश भरा।

टूट जाए यदि कोई स्वप्न भी तो होता केवल जागना।
ना हकीक़त पर कोई प्रभाव, मन से मिलती सांत्वना

स्वप्न और हकीकत में केवल इतना अंतर कि
हर स्वप्न सच होता नही और हकीक़त स्वप्न से बनती नही।

है ये सारा विचारों का खेल,
बनते जिससे विचारों के तालमेल।

कुछ पल हंसते
कुछ पल रोते

है ये जीवन भी एक स्वप्न की तरह
भिन्न -भिन्न भावनाओं से भरा।

जब भी आंख खुल जाती
टूटती हुई आस में भी आशा की किरण नजर आती।


*****
I hope you liked it. Please leave your comments & feedback.
Thanks for being here.

*****

Tuesday, June 16, 2020

सुखद स्वप्न

"सुखद स्वप्न" 


हो रहा सूर्योदय है,
पंछी चहक रहे चहुं ओर।
उल्हास है जीवन में नया
हर कोई आनंद विभोर।

कलियां मुस्काई बनी फूल है
पुष्प सुगंध है चहुं ओर।
नई उमंग है, नई आशा है।
हर कोई आनंद विभोर।

चल रही पवन पुरवाई है,
ठंडक सी राहत है चहुं ओर।
खुशियों से हर नयन भरे है,
हर कोई आनंद विभोर ।

बहती सरिता कल कल करती
फैलाए शीतल जल चहुं ओर।
है मधुर संगीत प्रकृति में,
हर कोई आनंद विभोर।

आँखे खुली इस सुखद स्वप्न से
जब सुना बाहर का शोर।
फ़िर आया उसी दुनिया में 
कहीं सन्नाटा, कहीं अशांति और कहीं है उदासी घनघोर।

*****
I hope you liked it. Please leave your comments & feedback.
Thanks for being here.

*****