"हिंदी भाषा नहीं भावना है।"
हिंदी भाषा की महानता के बारे में कुछ बातें लिखना ऐसा ही है जैसे सागर से बाल्टी भर पानी निकालना। फ़िर भी महानता को व्यक्त है तो भावनाओं के फल को निचोड़कर शब्दों का रस तो बनाना ही होगा ना।
मेरी यह रचना सभी हिंदी प्रेमियों को समर्पित है:
"हिंदी भाषा नहीं भावना है।"
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हिंदी मां के आंचल सी, भाषाओं की जननी है।
हिंदी कवियों की कलम है, लेखकों की लेखनी है।
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हिंदी काव्यों की रग है, साहित्य की धड़कन है।
हिंदी सभ्यता की महक है, संस्कारो का उपवन है।
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हिंदी व्याकरण का झरना है, शब्दों का महासागर है।
हिंदी कहावतों की सरिता है, व्यंग्य का गागर है।
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हिंदी व्यवहारों का माध्यम है, सादगी भरा व्यवहार है।
हिंदी परंपरा का शृंगार है, आधुनिकता से भी प्यार है।
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हिंदी वाणी की शालीनता, अभिव्यक्ति का बहाव है।
शब्द यथावत स्वीकार ले, अन्य भाषाओं से इसे लगाव है।
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हिंदी प्रेमियों की गोपी है, संस्कृति की वाहक है।
हिंदी रचना की प्रेरणा है, व्यक्तित्व की सहायक है।
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मराठी माँ देवकी है मेरी, हिंदी मेरी यशोदा है।
मराठी ने मुझे जन्म दिया तो हिंदी ने पाला- पोषा है।
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हिंदी हिंदुत्व की पहचान, भारत की शान है।
हिंदी मातृभूमि की कर्मभाषा, तुझे मेरा सत- सत प्रणाम है।
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"कोई भी भाषा महान नहीं होती, उसे महान बनाते हैं इंसान जो महान होते हैं।"
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